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संभल मस्जिद सर्वेक्षण रिपोर्ट: 15 दिन का विस्तार मांगने वाली याचिका, सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण ट्रायल कोर्ट ने कोई आदेश पारित नहीं किया

संभल में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने सोमवार को एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव की उस अर्जी को ‘फाइल पर रख लिया’ जिसमें स्वास्थ्य आधार पर संभल मस्जिद की सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय मांगा गया था।

हालांकि, अदालत ने संभल मस्जिद मामले में कोई आदेश पारित न करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और सुनवाई की अगली तारीख 8 जनवरी तय की।

अदालत ने शाही मस्जिद समिति का आवेदन भी स्वीकार कर लिया, जिसमें उसने सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा बढ़ाने के अधिवक्ता आयुक्त के अनुरोध पर आपत्ति जताई थी।

राघव ने कहा, “मैंने माननीय अदालत से 15 दिन का समय मांगा था लेकिन मेरे आवेदन पर ‘फाइल पर रखें’ का निशान लगा दिया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश दे दिया है।”

इससे पहले दिन में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट तैयार है और अंतिम चरण में है। यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से मैंने अदालत से 15 दिन का समय मांगा है।”

उन्होंने कहा, “मुझे तीन दिन से बुखार है। मैं अभी तक रिपोर्ट का विश्लेषण नहीं कर पाया हूं।”

संभल के जिला सरकारी वकील प्रिंस शर्मा ने कहा, “अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर और मस्जिद समिति के आवेदन स्वीकार कर लिए, लेकिन संभल मस्जिद सर्वेक्षण मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट के स्थगन के कारण कोई आदेश पारित नहीं किया।”

शर्मा ने कहा, “अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को तय की है।”

शर्मा ने बताया कि एडवोकेट कमिश्नर ने चिकित्सा आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था।

सर्वोच्च न्यायालय के वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर याचिका पर अदालत के आदेश के बाद 19 नवंबर को शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। याचिका में दावा किया गया था कि इस स्थल पर पहले एक मंदिर था।

24 नवंबर को जब मस्जिद का फिर से सर्वेक्षण किया जा रहा था, तब हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में चार लोग मारे गए और अन्य घायल हो गए। पुलिस के अनुसार, इस घटना में उनके 29 कर्मचारी घायल हुए हैं।

हिंसा के बाद, 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने संभल ट्रायल कोर्ट को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित कोई भी आदेश पारित न करने का आदेश दिया था, साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को निर्धारित की है।

शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि जब तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेता, तब तक सर्वेक्षण रिपोर्ट को सीलबंद रखा जाए।

संभल जिले में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने 19 नवंबर को जैन द्वारा दायर एक आवेदन पर शाही मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए एक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश दिया था।

अदालत के आदेश के बाद रमेश राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया गया। उसी शाम जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया और जिला पुलिस प्रमुख कृष्ण कुमार की मौजूदगी में मस्जिद का प्रारंभिक सर्वेक्षण किया गया।

सर्वेक्षण का दूसरा दौर 24 नवंबर को शुरू हुआ, जिसके कारण विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी जिसमें चार लोगों की जान चली गई।

29 नवंबर को अगली सुनवाई में ट्रायल कोर्ट ने रिपोर्ट पूरी करने के लिए 10 दिन का समय दिया था। यह समय सीमा सोमवार को समाप्त हो गई।

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